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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं
The underground cavern incorporates a dome large higher than, and hardly visible. Voices echo fantastically off the ancient stone from the partitions. Devi sits within a pool of holy spring drinking water by using a Cover over the top. A pujari guides devotees through the whole process of paying out homage and obtaining darshan at this most sacred of tantric peethams.
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।
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ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం సౌ: ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या
यत्र श्रीत्रिपुर-मालिनी विजयते नित्यं निगर्भा स्तुता
यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं
The Goddess's victories are celebrated as symbols of the last word triumph of fine more than evil, reinforcing the ethical fabric with the universe.
Comprehending the significance of those classifications aids devotees to pick the right mantras for their private spiritual journey, guaranteeing that their practices are in harmony with their aspirations and the divine will.